मल्कापुर टुडे | विशेष रिपोर्ट
"बकरीद पर वर्चुअल की अपील क्यों नहीं?" – नितेश राणे का पर्यावरणविदों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं से तीखा सवाल
📅 दिनांक: 4 जून 2025
✍ रिपोर्ट: मल्कापुर टुडे डेस्क
मुंबई: महाराष्ट्र के भाजपा विधायक नितेश राणे ने पर्यावरण प्रेमियों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं पर तीखा हमला बोलते हुए पूछा है कि जब गणेशोत्सव, दीवाली और अन्य हिंदू त्योहारों को लेकर 'पर्यावरण की चिंता' जताई जाती है, तो फिर बकरीद के मौके पर 'वर्चुअल कुर्बानी' की अपील क्यों नहीं की जाती?
उन्होंने ट्वीट कर सवाल उठाया,
“क्या कारण है कि बकरीद के समय कोई भी पर्यावरणवादी या पशु अधिकार कार्यकर्ता वर्चुअल ईद मनाने की अपील नहीं करता? क्या उनका ‘करुणा भाव’ केवल हिंदू त्योहारों के लिए जागता है?”
नितेश राणे के इस बयान ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला और पक्षपातपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि इस्लाम धर्म में बकरीद की कुर्बानी एक धार्मिक अनिवार्यता है, और बार-बार इस पर सवाल उठाना अल्पसंख्यकों की धार्मिक आज़ादी पर हमला है।
✍ मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया:
मल्कापुर सहित महाराष्ट्र के कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों और संगठनों ने कहा है:
“यदि त्योहारों में पर्यावरण की बात करनी है, तो सभी धर्मों के आयोजनों में समान दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। सिर्फ मुस्लिम त्योहारों को निशाना बनाना सांप्रदायिक राजनीति है।”
🐐 कुर्बानी और कानून:
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बकरीद के मौके पर कुर्बानी देना भारतीय संविधान द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता के तहत संरक्षित है।
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हर साल प्रशासन की ओर से गाइडलाइंस जारी होती हैं, लेकिन मुस्लिम समाज हमेशा कानूनी दायरे में रहते हुए त्योहार मनाता है।
📌 मल्कापुर टुडे का संपादकीय संदेश:
धार्मिक त्योहारों को लेकर दोहरा रवैया देश की धार्मिक एकता और सद्भावना को नुकसान पहुंचाता है। सभी धर्मों को समान सम्मान मिलना चाहिए। मुस्लिम समाज पर बार-बार सवाल खड़ा करना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
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