वक़्फ़ संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ देशभर में लाइट बंद कर शांतिपूर्ण विरोध, मलकापुर समेत कई शहरों ने दी ख़ामोश आवाज़ में बुलंद चेतावनी
दिल्ली के शाहीन बाग़ से लेकर महाराष्ट्र के मलकापुर तक, आज रात एक सन्नाटा गूंज उठा — ऐसा सन्नाटा जो विरोध की सबसे बुलंद आवाज़ बन गया। वक़्फ़ संपत्तियों से जुड़े संशोधन विधेयक के खिलाफ देशभर के मुसलमानों ने बिजली की लाइटें बंद करके एक शांतिपूर्ण और रचनात्मक विरोध दर्ज कराया।
इस अनोखे विरोध प्रदर्शन में मलकापुर, भोपाल, लखनऊ, पटना, हैदराबाद समेत सैकड़ों कस्बों और मोहल्लों में लोगों ने अपनी लाइटें बुझा दीं — एकजुट होकर सरकार को यह संदेश दिया कि अगर ताक़त के ज़ोर पर आवाज़ दबाई जाएगी, तो हम अंधेरे में भी अपनी बात कहेंगे।
दिल्ली के शाहीन बाग़ में इस विरोध का दृश्य खासा भावुक और प्रेरणादायक रहा, जहां कई स्थानीय नागरिकों ने बिना नारेबाज़ी के सिर्फ अंधेरे के ज़रिए अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।
इस राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी समर्थन जताया और कहा,
"यह विरोध किसी एक क़ानून के खिलाफ़ नहीं, बल्कि उस सोच के खिलाफ़ है जो हमारी धार्मिक और सामाजिक पहचान को मिटाने की कोशिश कर रही है।"
मलकापुर में भी स्थानीय मुस्लिम समाज ने एकजुट होकर शांतिपूर्ण तरीके से लाइट बंद रखी और इस प्रदर्शन का हिस्सा बने। कई स्थानीय सामाजिक संगठनों और युवा नेताओं ने इस आंदोलन को लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक बताया।
विरोध शांतिपूर्ण रहा, लेकिन उसका संदेश तेज़ — कि हम अपनी आवाज़ से नहीं डरते, और अगर ज़ुबान बंद की जाती है, तो अंधेरे से भी रोशनी की तलाश कर लेंगे।


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