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नितीश कुमार के इफ्तार कार्यक्रम का बहिष्कार, वक्फ बिल पर समर्थन को लेकर मुस्लिम संगठनों का विरोध |
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी का रविवार को राज्य के आठ प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने बहिष्कार कर दिया। इन संगठनों ने रोज़ेदारों से भी इस इफ्तार में शामिल न होने की अपील की। बहिष्कार का मुख्य कारण जनता दल (यूनाइटेड) द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का समर्थन बताया जा रहा है। यह विधेयक वर्तमान बजट सत्र के दौरान संसद में पारित होने के लिए पेश किया जाएगा।
नितीश कुमार का यह इफ्तार कार्यक्रम उनके आधिकारिक आवास पर आयोजित किया गया था। इस बहिष्कार का नेतृत्व करने वाले संगठनों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), इमारत-ए-शरीया, जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अरशद मदनी और महमूद मदनी गुट), जमीयत अहले हदीस, जमात इस्लामी हिंद, खानकाह मजीबिया (पटना), और खानकाह रहमानी (मुंगेर) शामिल हैं।
विधेयक पर नितीश कुमार की भूमिका पर सवाल
इन संगठनों का कहना है कि चूंकि केंद्र सरकार नरेंद्र मोदी को सत्ता में बनाए रखने के लिए नितीश कुमार के 12 लोकसभा सांसदों पर निर्भर है, इसलिए नितीश कुमार के पास केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की ताकत है। अगर वह चाहें, तो इस विवादित विधेयक को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार पर प्रभाव डाल सकते हैं।
ज्ञात हो कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 240 सीटें मिली थीं और नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए नितीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी का समर्थन लेना पड़ा था। मुस्लिम संगठनों ने नितीश कुमार को एक खुले पत्र के माध्यम से चेतावनी दी है कि अगर यह विधेयक पारित होता है, तो इसके दुष्परिणामों के लिए वह और उनकी पार्टी जिम्मेदार होंगे।
मुस्लिम संगठनों का आरोप – नितीश ने किया ‘धोखा’
मुस्लिम संगठनों द्वारा लिखे गए पत्र में नितीश कुमार और उनकी पार्टी की कड़ी आलोचना की गई है। इस पत्र में कहा गया है कि वक्फ विधेयक "मुसलमानों की आर्थिक और शैक्षिक बदहाली को और अधिक बढ़ाने वाला है", जिसका उल्लेख सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में भी किया गया था।
पत्र में कहा गया, "आपने सत्ता में आने से पहले धर्मनिरपेक्षता का वादा किया था, जिसमें अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का भरोसा दिया था। लेकिन भाजपा के साथ गठबंधन करके और इस विधेयक का समर्थन करके आपने अपने ही वादों से मुकरने का काम किया है।"
भाजपा के प्रभाव में काम कर रहे हैं नितीश कुमार?
सूत्रों के अनुसार, जदयू सांसद ललन सिंह ने अगस्त 2024 में लोकसभा में इस विधेयक का समर्थन किया था। उस समय मुस्लिम नेताओं ने नितीश कुमार और ललन सिंह से मुलाकात कर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया था, लेकिन उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
इसके अलावा, जदयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री विजय कुमार चौधरी ने आश्वासन दिया था कि मुख्यमंत्री नितीश कुमार मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध हैं, लेकिन इसके बावजूद पार्टी के आधिकारिक रुख में कोई बदलाव नहीं आया।
सोशल मीडिया पर बहिष्कार को मिला समर्थन
मुस्लिम संगठनों के इस इफ्तार बहिष्कार को सोशल मीडिया पर जबरदस्त समर्थन मिला। हालांकि, स्थानीय हिंदी अखबारों ने इस खबर को नजरअंदाज किया, जबकि कुछ उर्दू अखबारों ने भी इस पर विशेष कवरेज नहीं दी।
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत (रजि.), बिहार के राज्य संयोजक सैयद नशूर अजमल नुशी ने TwoCircles.net से बातचीत में कहा कि मुस्लिम समुदाय का वक्फ विधेयक का विरोध "नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के विरोध की तरह ही है।"
उन्होंने कहा, "इस इफ्तार बहिष्कार का संदेश न सिर्फ नितीश कुमार को, बल्कि मोदी सरकार को भी स्पष्ट है। बिहार भर में इस बहिष्कार को जबरदस्त समर्थन मिला है, और जो लोग इस ‘काले कानून’ का समर्थन करेंगे, उन्हें देशभर में बेनकाब किया जाएगा।"
26 मार्च को बड़ा प्रदर्शन
नुशी ने यह भी घोषणा की कि 26 मार्च को एक बड़े धरने या प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें NDA के बाहर की कई राजनीतिक पार्टियां भी शामिल हो सकती हैं।
उन्होंने कहा, "नितीश कुमार के पास अब भी समय है कि वह अपनी पार्टी के इस विधेयक के समर्थन को वापस लें, नहीं तो यह विरोध और तेज होगा।"


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